उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों के लिए इस समय एक बड़ा सवाल है कि क्या योगी सरकार 2024-25 के पेराई सत्र में गन्ने का दाम बढ़ाएगी? उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक राज्य है, जहां करीब 45 लाख किसान परिवार गन्ने की खेती पर निर्भर हैं। इस साल पेराई सत्र शुरू हो चुका है, लेकिन अभी तक राज्य सरकार ने गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) घोषित नहीं किया है। किसान संगठन लगातार दाम बढ़ाने की मांग कर रहे हैं, जबकि चीनी मिल मालिक इसका विरोध कर रहे हैं। आइए जानते हैं, इस बार गन्ना मूल्य को लेकर क्या स्थिति है।
किसानों की मांग और उम्मीदें
किसानों का कहना है कि बढ़ती महंगाई और खेती की लागत को देखते हुए गन्ने का दाम कम से कम 450 से 500 रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने भी सरकार से 500 रुपये प्रति क्विंटल की मांग की है। उनका कहना है कि पिछले कुछ सालों में गन्ने का दाम बहुत कम बढ़ा है, जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है। दूसरी ओर, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में गन्ने का दाम उत्तर प्रदेश से ज्यादा है। नीचे दी गई तालिका में इन राज्यों के गन्ना मूल्य की तुलना है:
राज्य | गन्ना मूल्य (रु./क्विंटल) |
---|---|
उत्तर प्रदेश | 370 (अगैती प्रजाति) |
पंजाब | 401 |
हरियाणा | 400 |
सरकार का रुख और कैबिनेट का फैसला
योगी सरकार ने पहले भी गन्ना किसानों के लिए कई कदम उठाए हैं। साल 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले गन्ने का दाम 20 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया गया था। लेकिन इस साल जनवरी-फरवरी 2025 तक कैबिनेट ने गन्ना मूल्य बढ़ाने का कोई फैसला नहीं लिया। गन्ना मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने संकेत दिए थे कि जनवरी 2025 में कैबिनेट बैठक में इस पर चर्चा हो सकती है, लेकिन बाद में सरकार ने साफ कर दिया कि इस बार दाम में बढ़ोतरी नहीं होगी। गन्ना विकास मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण ने बताया कि गन्ने का एसएपी 370 रुपये प्रति क्विंटल ही रहेगा।
चीनी मिलों का विरोध
चीनी मिल मालिकों का कहना है कि इस साल गन्ने से चीनी की रिकवरी दर 10 फीसदी कम है, जिससे उनकी लागत बढ़ गई है। यूपी शुगर मिल्स एसोसिएशन ने सरकार से मांग की है कि गन्ने का दाम न बढ़ाया जाए, क्योंकि इससे उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो सकती है। नीचे दी गई तालिका में चीनी रिकवरी और लागत का असर दिखाया गया है:
वर्ष | चीनी रिकवरी (%) | उत्पादन लागत (रु./क्विंटल) |
---|---|---|
2023-24 | 9.5 | 350 |
2024-25 | 8.7 | 380 |
किसानों पर दोहरी मार
इस साल गन्ने की फसल में रोगों के कारण पैदावार 10 से 15 फीसदी कम हुई है। ऐसे में दाम न बढ़ने से किसानों को दोहरा नुकसान हो रहा है। किसान नेताओं का कहना है कि सरकार को किसानों की लागत और महंगाई को ध्यान में रखकर दाम बढ़ाना चाहिए। भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के अध्यक्ष हरिनाम वर्मा ने कहा कि अगर दाम नहीं बढ़े, तो किसान सड़कों पर उतर सकते हैं।
क्या है आगे की राह?
गन्ना किसानों की मांग और चीनी मिलों के विरोध के बीच योगी सरकार के लिए फैसला लेना आसान नहीं है। हालांकि, कुछ जानकारों का मानना है कि 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले सरकार अगले साल दाम बढ़ा सकती है। फिलहाल, किसानों को पिछले साल के दाम पर ही गन्ना बेचना होगा। गन्ना किसानों को उम्मीद है कि सरकार जल्द उनकी मांगों पर ध्यान देगी और भविष्य में बेहतर कीमत देगी।